बिहार में 6 और 11 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी बीच रोजगार की तलाश में बिहार से गुजरात आए लोग अपने अनुभव साझा कर रहे हैं. अहमदाबाद के ओढ़व इलाके में स्थित एक मेटल फैक्ट्री के मालिक और यहां काम करने वाले कर्मियों ने बताया कि उन्हें बेहतर रोजगार और माहौल की तलाश में बिहार छोड़ना पड़ा था.
यह फैक्ट्री भी एक मूल बिहार निवासी की है और इसमें काम करने वाले ज्यादातर लोग भी बिहार से हैं. फैक्ट्री में काम करने वाली एक महिला, जो बिहार के छपरा जिले की रहने वाली हैं, कहती हैं कि गांव में महिलाओं को काम नहीं मिलता. वहां 400 रुपये से ज्यादा मजदूरी मिलना कठिन है.
रोजगार की तलाश में बिहार से गुजरात आए लोग
परिवार में एक व्यक्ति की कमाई से खर्च नहीं चलता. वह बताती हैं कि कुछ सुधार जरूर हुए हैं, लेकिन अवसर अभी भी कम हैं, इसलिए परिवार के सदस्य काम के लिए गुजरात आए हैं. कुछ लोग वोट देने बिहार गए हैं लेकिन कई लोग मजबूरी में इस बार वोट नहीं डाल पाएंगे.
फैक्ट्री के मालिक सुराज बताते हैं कि उनके पिता 1994 में बिहार से अहमदाबाद आए थे. उस समय बिहार की कानून व्यवस्था और आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. अहमदाबाद में व्यापार के ज्यादा अवसर थे और लोगों ने उन्हें स्वीकार किया.
मेटल फैक्ट्री में काम करते मजदूर
आज उनकी फैक्ट्री गुजरात के साथ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और बिहार तक उत्पाद भेजती है. अब वह बिहार में एक यूनिट लगाने की तैयारी कर रहे हैं. उनका कहना है कि जो सफलता यहां मिली, वह तब बिहार में संभव नहीं थी, लेकिन अब हालात धीरे-धीरे बदल रहे हैं. चुनाव के इस दौर में उनकी यह कहानी रोजगार और अवसर की हकीकत बयां करती है.
अतुल तिवारी