31 जुलाई (2004) को मनमोहन सिंह ने मुझसे कहा कि अगर मेरे पास फुर्सत का समय है तो मैं उनसे आकर मिल लूं. मैं होटल की सोलहवीं मंजिल पर स्थित उनके सुइट में पहुंचा (बैंकॉक में वे विदेश दौरे पर आए हुए थे). उन्होंने मुझसे कहा कि वे बहुत अकेले पड़ गए हैं. वे शायद मुझसे यह कहना चाह रहे थे कि सत्ता के दो केंद्र होने की व्यवस्था से वे खुश नहीं हैं. हमने दौरों से जुड़ी बातों पर चर्चा की और उसके बाद मैंने उनसे कहा कि इस काम के लिए वे पूरी तरह उपयुक्त व्यक्ति हैं और सोनिया को उन पर पूरा भरोसा है. मैंने उन्हें तसल्ली देते हुए कहा, “हम सब आपके साथ हैं.”