क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि थिएटर में फिल्म देखते हुए किसी सीन में खूब लजीज पकवान दिखे और आपके मुंह में पानी आ गया हो? कोई माने या ना माने, हमारे साथ तो खूब हुआ है. जब भी ऐसा होता है, तो लगता है कि काश थिएटर में ही खाना ऑर्डर हो सकता! अपनी फेवरेट डिश मंगाकर, उसका स्वाद लेते हुए फिल्म देखने का मजा ही कुछ और होता. अच्छी खबर ये है कि ये आईडिया अब केवल सपना नहीं रहा, रियलिटी बन चुका है.
PVR-INOX ने बेंगलुरु में भारत का पहला डाइन-इन थिएटर लॉन्च किया है. पीटीआई के अनुसार, एक स्टेटमेंट में PVR-INOX ने कहा, 'ये फॉर्मेट सिनेमा को एक लाइफस्टाइल डेस्टिनेशन में बदल देगा.' तस्वीरों में दिख रहा है कि स्क्रीन के सामने आपके टेबल लगे होंगे जिनपर आप ऑर्डर किया हुआ खाना खाते हुए फिल्म देख सकेंगे. जहां ये बहुत सारे फिलमचियों का सपना पूरा होने जैसा है, वहीं कईयों के लिए ये उनका सबसे बुरा सपना भी है. विदेशों में कई जगह कामयाब रहा ये फॉर्मेट क्या भारत में पॉपुलर हो पाएगा?
कैसा रहा है डाइन-इन थिएटर्स का बिजनेस?
इंडिया में डाइन-इन थिएटर पहली बार खुल रहा है लेकिन यूएस और यूके में ये फॉर्मेट काफी पहले से शुरू है. कोविड 19 वाले लॉकडाउन के बाद से पूरी दुनिया में फिल्म बिजनेस कमजोर हुआ और थिएटर्स में दर्शकों की गिनती घटी.
इस बीच यूके की सिनेमा चेन एवरीमैन ने एक एक्स्पेरिमेंट किया और अपने थिएटर्स में लग्जरी सीटिंग के साथ-साथ टेबल सर्विस भी शुरू की. फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि 2025 के फर्स्ट हाफ में इस सिनेमा चेन में फुटफॉल करीब 15 प्रतिशत बढ़ गए. इस सिनेमा चेन के चीफ एग्जीक्यूटिव ने रिपोर्ट में कहा, 'अब बहुत सारे लोगों के घर पर अच्छा ऑडियो-वीडियो सिस्टम होता है. लोगों को उनके घर से बाहर लाने के लिए अब सिर्फ अच्छी फिल्म दिखाने से काम नहीं चलेगा.'
एवरीमैन ने स्पेशल मेन्यू तैयार किया और इसमें नए-नए आइटम जोड़े जो लोगों को अपील करते हैं. इसके लिए उन्होंने अपने टिकट के रेट भी बढ़ाए. एवरीमैन के थिएटर्स में टिकट के एवरेज दाम, बाकी थिएटर्स के एवरेज टिकट प्राइस के मुकाबले 50% तक ज्यादा हैं. मगर फिर भी जहां यूके की कई पॉपुलर चेन्स अपने कुछ थिएटर्स बंद करने की तरफ बढ़ रही हैं, वहीं इस प्रीमियम एक्सपीरियंस की वजह से एवरीमैन को ऐसा रिस्पॉन्स मिल रहा है कि वे नए थिएटर्स खोलने की प्लानिंग कर रहे हैं.
द फूड इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट बताती है कि यूएस में लॉकडाउन हटने के बाद डाइन-इन थिएटर्स के कामयाबी मिली जुली रही है. इस फॉर्मेट में, सर्विस देने के लिए थिएटर्स का खर्च तो बढ़ता है, लेकिन अगर इसे सही से किया जाए तो इसके फायदे भी तगड़े होते हैं. ये रिपोर्ट भी कहती है कि महामारी के बाद से सिनेमा बिजनेस को आगे बढ़ाने वाला फैक्टर 'प्रीमियम एक्सपीरियंस' रहा है. इसी रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि खाने-पीने पर बहुत फोकस रखने वाली, यूएस की थिएटर चेन अलामो ड्राफ्टहाउस लॉकडाउन के बाद कंगाल हो चुकी है.
'प्रीमियम सिनेमा एक्सपीरियंस' के लिए कितने तैयार हैं भारतीय दर्शक?
भारत की कई बड़ी मल्टीप्लेक्स चेन्स ने लॉकडाउन के बाद अपने थिएटर्स को अपग्रेड किया है. रिक्लाइनर सीट्स बढ़ाना और सीट्स को बेहतर करने का भी ट्रेंड नजर आया है. मगर लॉकडाउन के बाद से टिकटों के दाम का मुद्दा फिल्म बिजनेस की चर्चा में लगातार बना हुआ है.
थिएटर्स में सबसे ज्यादा दर्शक उस दिन आ रहे हैं जब टिकटों पर ऑफर होता है— पीवीआर के ब्लॉकबस्टर ट्यूसडे वाले ऑफर में जब टिकटों के दाम 99 रुपये से 149 रुपये तक होते हैं, थिएटर्स में वीकेंड जैसी और कई बार उससे भी ज्यादा भीड़ जुटती है. जबकि मंगलवार हफ्ते का कामकाजी दिन होता है.
करण जौहर जैसे कई बड़े फिल्ममेकर्स ये बात हाईलाइट करते रहे हैं कि मल्टीप्लेक्स थिएटर्स के टिकट प्राइस और इंटरवल में खाने-पीने का खर्च कैसे दर्शकों को थिएटर्स तक लाने में रुकावट बन रहा है. मगर भारत में भी फिल्म बिजनेस से ऐसे संकेत भी मिलते रहे हैं कि 'प्रीमियम सिनेमेटिक एक्सपीरियंस' थिएटर्स में दर्शक बढ़ा रहा है और इसका अपना एक दर्शक वर्ग है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट बताती है कि मेट्रो शहरों में IMAX फॉर्मेट में फिल्मों की डिमांड बढ़ी है. इस फॉर्मेट में टिकट के दाम, साधारण थिएटर्स से महंगे होते हैं और ये तो अब सभी जानते हैं कि प्रीमियम थिएटर्स में मिलने वाले फ़ूड और ड्रिंक्स के लिए, एक अच्छे रेस्टोरेंट से भी ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं.
दर्शकों की आदतों से खराब ना हो फिल्म का मजा
भारत में डाइन-इन थिएटर्स की पॉपुलैरिटी में एक और बड़ा रोड़ा है, थिएटर्स में जनता का बर्ताव. फिल्म स्क्रीनिंग्स में किसी के मोबाइल चलाने या शोर करने को लेकर विवाद बढ़ने की खबरें भी खूब आती रही हैं. ऐसे में ये सोचने वाली बात है कि जब फिल्म के बीच में लोग खा रहे होंगे तो डिस्टर्बेंस भी बढ़ेगा.
विदेशों के डाइन-इन थिएटर्स में खाना सर्व किए जाने के भी नियम हैं. जैसे- आपको शो से 30 मिनट पहले फ़ूड ऑर्डर कर देना होता है ताकि शो शुरू होने से पहले ऑर्डर आपकी टेबल पर हो. फिल्म चलने के बीच ऑर्डर टेबल पर डिलीवर नहीं होंगे. थिएटर्स में ढेर सारे लोग ऐसे होते हैं जिन्हें चलती फिल्म के बीच किसी तरह का डिस्टर्बेंस नहीं चाहिए, इससे उनका एक्सपीरियंस खराब होता है.
मगर फिल्म स्क्रीनिंग के बीच अभी तक अपना मोबाइल साइड रखने का ही संघर्ष करते दर्शकों से इन नियमों का पालन करने की उम्मीद करना बेमानी सा है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि बेंगलुरु के डाइन-इन थिएटर की तर्ज पर दूसरे थिएटर्स भी ऐसा कुछ अपग्रेड लाते हैं या नहीं. और ये एक्स्पेरिमेंट भारतीय दर्शकों में फिल्म देखने के एक्सपीरियंस और बिजनेस के लिहाज से कितना कामयाब होता है.
सुबोध मिश्रा