बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान आज के वक्त में 'मिस्टर परफेक्शनिस्ट' के नाम से मशहूर हैं. उनके लिए कहा जाता है कि वो अपनी हर फिल्म पर बहुत करीब से काम करते हैं. मगर एक वक्त उनके करियर में ऐसा भी रहा, जब उन्होंने लगातार फ्लॉप फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर डिलीवर की थीं. ये पल एक्टर के लिए बेहद मुश्किल था.
जब आमिर ने देखा अपने करियर का सबसे मुश्किल दौर
आमिर खान ने हिंदुस्तान टाइम्स संग बातचीत में अपने करियर की शुरुआत से उस पहलू को याद किया, जब उन्हें 'वन फिल्म वंडर' का टैग मिला था. सुपरस्टार ने अपने करियर की शुरुआत 'कयामत से कयामत तक' फिल्म से की, जो सुपरहिट थी. मगर इसके बाद उनकी लगातार फिल्में फ्लॉप हुईं.
एक्टर ने बताया, 'मुझे ढेरों ऑफर मिल रहे थे और मैंने नौ से ज्यादा फिल्में साइन कर ली थीं. ये सोचकर कि बाकी एक्टर्स 30, 40, 50 फिल्में कर रहे हैं. मुझे लगा कि 10 से कम फिल्में ठीक रहेगीं. फिर मुझे एहसास हुआ कि मैंने पहले कभी इस तरह काम नहीं किया. जब शूटिंग शुरू हुई, तो मुझे समझ आया कि मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी है. मैं दो-तीन या आठ-नौ फिल्में एक साथ करने के लिए नहीं बना हूं. यही मेरा पहला एहसास था.'
'दूसरा, एक डायरेक्टर ही जहाज का कप्तान होता है. जब मैं कोई स्क्रिप्ट पढ़ता हूं, तो मैं सोचने लगता हूं कि उसकी शूटिंग कश्मीर में हो रही है. डायरेक्टर खंडाला की कल्पना करता है. और प्रोड्यूसर ने फिल्म सिटी पहले ही बुक कर ली है क्योंकि वहां भी दो पहाड़ियां हैं. तभी मुझे समझ आया कि कैसे बिना तालमेल भी फिल्म बर्बाद हो सकती है.'
फ्लॉप हुईं शुरुआती फिल्में, रोने लगे थे आमिर
आमिर ने आगे अपनी डेब्यू फिल्म के बाद का मंजर बताया. उन्होंने कहा, 'कयामत से कयामत तक के बाद, मैं अपने काम से खुश नहीं था. मेरी सोच उन लोगों से मेल नहीं खाती थीं जिनके साथ मैं काम कर रहा था. लंबी कहानी को छोटे में समझाने के लिए, वो फिल्में फिर रिलीज होने लगीं. उनमें से तीन फिल्में फ्लॉप हो गईं और मुझे वन फिल्म वंडर का टैग मिल गया. और जो फिल्में अभी रिलीज होनी बाकी थीं, मुझे पता था कि वो कितनी बुरी थीं.'
'उससे मुझे लगा जैसे मैं डूब गया हूं. मेरा करियर बर्बाद होने वाला है. मैं शाम को घर आकर रोता था. मैंने कसम खाई थी कि जब तक मुझे स्क्रिप्ट, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर पर भरोसा नहीं होगा, मैं फिर कभी समझौता नहीं करूंगा, चाहे इसका मतलब मेरा करियर खत्म ही क्यों ना हो जाए. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं दलदल में फंस गया हूं.'
बता दें कि आमिर की डेब्यू फिल्म 1988 में आई थी. जिसके बाद, उन्हें एक और क्लीन हिट के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा. उन्हें 1990 में माधुरी दीक्षित संग 'दिल' से थोड़ी सफलता मिली. इसके बार वो 1991 में 'दिल है कि मानता नहीं' लेकर आए, जो एक और हिट साबित हुई.
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