Kadipur Assembly Seat: पूर्व सीएम श्रीपति मिश्रा का क्षेत्र, वर्तमान में बीजेपी का कब्जा

कादीपुर विधानसभा सीट: तीन दशक के विधानसभा चुनाव इतिहास पर नजर डालें तो जिले की कादीपुर विधान सभा सीट पर कांग्रेस  का कब्ज़ा ज्यादा रहा है. हालांकि इस विधानसभा में 1989 के बाद कांग्रेस ने कभी जीत दर्ज़ नहीं की.

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Uttar Pradesh Assembly Election 2022( Kadipur Assembly Seat) Uttar Pradesh Assembly Election 2022( Kadipur Assembly Seat)

आलोक श्रीवास्तव

  • सुल्तानपुर,
  • 16 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST
  • यहां बोली जाती है हिंदी, अवधी व खड़ी भाषा
  • बिजेथुआ महावीरन धाम की है पौराणिक मान्यता
  • 2017 में भाजपा जीती और राजेश गौतम विधायक बने

सुल्तानपुर जिले की कादीपुर विधानसभा, मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस विधानसभा में 376 गांव हैं और इस विधानसभा की साक्षरता दर 62% है. इस विधानसभा से अयोध्या की दूरी सिर्फ 86 किलोमीटर है. जबकि आजमगढ़ जिला इससे मात्र 86 किलोमीटर दूर है. इस विधानसभा से लखनऊ की दूरी 180 किलोमीटर है. यहां हिंदी, अवधी व खड़ी भाषा बोली जाती है. इस विधानसभा में स्थित बिजेथुआ महावीरन धाम की पौराणिक मान्यता है और लोग भगवान हनुमान की दूर-दूर से पहुंच कर विधिवत पूजा करते हैं.

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इसका प्राचीन महत्व है. इस विधानसभा में अघोर पीठ, बाबा सत्यनाथ मठ, अल्देमऊ नूरपुर गांव आदि गंगा गोमती के पावन तट पर स्थित है. 5000 साल पुराना अघोरियों का यह प्रमुख साधना केंद्र अब भी बहुत से रहस्य समेटे हुए है. वर्षों पहले वीरान पड़े इस शैव साधना स्थल पर हरीशचंद्र घाट काशी के श्मशान पीठ के पीठाधीश्वर अवधूत उग्र चंडेश्वर कपाली बाबा रहते हैं और यह स्थान अघोर परंपरा के नव नाथों में प्रथम नाथ ब्रम्हा के अवतार बाबा सत्यनाथ की साधना व समाधि स्थल है. 

तीन दशक के विधानसभा चुनाव इतिहास पर नजर डालें तो जिले की कादीपुर विधान सभा सीट पर कांग्रेस  का कब्ज़ा ज्यादा रहा है. हालांकि इस विधानसभा में 1989 के बाद कांग्रेस ने कभी जीत दर्ज़ नहीं की. यहां तीन बार बसपा और एक बार सपा ने भी अपना परचम लहराया है.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

इस विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा चार बार कांग्रेस का कब्ज़ा रहा है और मौजूदा समय में ये सीट भाजपा के पास है. इस सीट पर भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस और जनता पार्टी अपना परचम लहरा चुकी है. तीन दशक पहले 1974 में इस विधानसभा ने जयराज गौतम को बतौर प्रतिनिधि चुना. वर्ष 77 में बृजलाल, जनता पार्टी से लड़े और बाजी जीती. सन 80 में जयराज गौतम को पुनः कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत दर्ज़ की. इसके बाद 1985 में  कांग्रेस से राम आसरे जीते और 1989 में जयराज गौतम ने कांग्रेस के टिकट पर जीत को कायम रखा.

इसके बाद साल 1991 में पासा फिर पलटा. भाजपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. 93 में बसपा प्रत्याशी भगेलूराम चुनाव जीतने में सफल रहे. सन 96 में भाजपा के कांशीराम व 2002 में बसपा प्रत्याशी भगेलूराम विधायक बने. 2007 में बसपा के भगेलूराम को एक बार फिर जिता कर विधानसभा में भेजा गया. 2012 में इस सीट से सपा के रामचंद्र चौधर जीते और मौजूदा 2017 में यहां से भाजपा जीती और राजेश गौतम यहां से विधायक बने.

सामाजिक ताना-बाना

वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार कादीपुर विधानसभा की कुल जनसंख्या 556329 है और इस विधानसभा के कुल मतदाताओं की संख्या 369625 है. इसमें पुरुष मतदाता की संख्या 194640 है और महिला मतदाताओं की संख्या 174978 है. इसके अलावा इस विधानसभा में थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 07 है.

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2017 का जनादेश 

2017 के विधानसभा चुनाव में कादीपुर सीट पर कुल 12  प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था लेकिन मुकाबला बसपा, कांग्रेस और भाजपा के बीच था. भाजपा प्रत्याशी राजेश गौतम 87353 मतों से जीते थे, जबकि दूसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी भगेलू राम को 60749 मत मिले. वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी अंगद कुमार इसी सीट से 32042 मत पाकर तीसरे नंबर पर आये थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में कादीपुर सीट में कुल मतदाता 358240 थे. जिसमें से 210538 लोगों ने वोटिंग की. इस तरह से कुल 58.77 फीसदी मतदान रहा था.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड

कादीपुर विधानसभा के विधायक राजेश गौतम का जन्म 16 सितम्बर 1976 को हुआ था. इनके पिता स्वर्गीय जयराज गौतम इसके पहले कादीपुर विधानसभा से क्रमश: 1974 , 1980 और 1989 में कांग्रेस से तीन बार विधायक रह चुके हैं. इन्होंने वकालत की शिक्षा हासिल की है और ये एक अधिवक्ता भी हैं. चुनाव के दौरान दिए गए शपथ पत्र के अनुसार उनकी कुल संपत्ति नौ करोड़ पचासी लाख से अधिक थी और उनके ऊपर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज़ नहीं था.

विविध

आजादी के पहले कादीपुर व चांदा संयुक्त विधान सभा क्षेत्र हुआ करती थी. यहां के मतदाता दो विधायक चुनते थे. एक सामान्य तो दूसरा आरक्षित वर्ग का. श्रीपति मिश्रा, काशीनाथ पांडेय व शंकर कंजड़ यहीं से विधायक चुने गए थे. जब यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई तो इस क्षेत्र के राजनेता जयसिंहपुर, लम्भुआ, इसौली सहित कई क्षेत्रों से किस्मत आजमाने लगे और अपनी वाकपटुता व काबिलियत के बलबूते कद्दावर जनप्रतिनिधि बन लालबत्ती तक हासिल की. इस क्षेत्र के सूरापुर निवासी पं. श्रीपति मिश्रा रिजर्व सीट होने के बाद जयसिंहपुर व इसौली से विधायक चुने गए. वे विधानसभा अध्यक्ष रहे तो सूबे के मुख्यमंत्री भी बने. 

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उनके पुत्र राकेश मिश्रा एमएलसी बनाए गए. इस क्षेत्र के सबसे बड़े कस्बे दोस्तपुर निवासी मुईद अहमद सदर सीट से न केवल चार बार विधायक रहे सूबे में राज्यमंत्री भी बने. कादीपुर में बहोरापुर निवासी ओपी सिंह दो बार जयसिंहपुर से विधायक व सूबे के खेलमंत्री भी रहे. लम्भुआ के विधायक व पर्यटन मंत्री रह चुके विनोद सिंह, इसी क्षेत्र में बलुआ पौधन के मूल निवासी हैं. लम्भुआ के विधायक रहे अशोक पांडेय इसी क्षेत्र के सुरहुरपुर व जयसिंहपुर से विधायक रहे रईस अहमद बेथरा गांव के रहने वाले हैं.

 

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