खरीफ फसलों की कटाई के वक्त सख्ती के बावजूद भी किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. इससे वायु में प्रदूषण का स्तर कई गुना ज्यादा बढ़ जाता है. उत्तर भारत के कई राज्यों में दमघोंटू जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. हालांकि, इस बार विभिन्न राज्यों की सरकारें इस समस्या से निपटने के लिए पहले से ही तैयार हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐसा प्लान तैयार किया है, जिससे किसानों को पराली जलाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
अब नहीं जलानी पड़ेगी पराली
उत्तर प्रदेश सरकार पराली जलाने वालों के खिलाफ बेहद सख्त है. सरकार की तरफ से पराली ना जलाने को लेकर समय-समय पर कई निर्देश भी जारी होते हैं. अब योगी सरकार कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) इकाइयों के यूनिट लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है. इस तरह के यूनिट्स लगने से किसानों को भी फायदा होगा. पराली खरीदने के एवज में ये इकाइयां किसानों को पैसे भी देंगी, जिससे उनकी आय में इजाफा होगा.
ऐसी इकाइयां स्थापित करने पर दी जाती है सब्सिडी
केंद्र सरकार द्वारा सबमिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के अंतर्गत संयंत्र स्थापित करने पर 20 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है. इसके अतिरिक्त इसपर 30 प्रतिशत सब्सिडी राज्य सरकार देती है. इसके अतिरिक्त जैव उद्यम इकाईयां जिनको किसी भी नीति और योजना के अंतर्गत पूंजीगत उत्पादन प्राप्त नहीं हो रहा है, उन्हें इकाई की लागत के बराबर 15 प्रतिशत उत्पादन उपलब्ध कराया जाएगा.
बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) यूनिट स्थापित करने की योजना
करीब 160 करोड़ रुपये की लागत से इंडियन ऑयल गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित धुरियापार में कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) इकाइ लग रही है. यह प्लांट मार्च 2023 तक चालू हो जाएगा. इसमें गेंहू और धान की पराली के साथ, धान की भूसी, गन्ने की पत्तियां और गोबर का उपयोग होगा. इस दौरान इकाई लगने से आस-पास के लोगों को भी सीधे तौर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. अधिक जनाकारी के लिए नोटिफिकेशन पर क्लिक करें.