हिंदी साहित्य की गद्य विधाओं में आत्मकथा की अपनी एक समृद्ध परंपरा है. प्रकाश मनु की आत्मकथा 'मैं मनु' बेहद आकर्षक है और किसी रोचक उपन्यास की तरह पाठक को बांध लेती है
पाकिस्तान की मशहूर शायरा सारा शगुफ़्ता ने ज़िंदगी में कितनी तकलीफें सहीं? वक्त ने उनके साथ कितनी ज्यादतियां की? इन सवालों का जवाब 'आंखें' और 'नींद का रंग' के हर पन्ने पर बिखरा पड़ा है.
पत्रकार अफसर अहमद ने अपनी किताब में औरंगजेब के व्यक्तित्व को लेकर कई ऐसी बातें बताई हैं जिनके बारे में आमतौर पर चर्चा नहीं होती है.
पुस्तक में भारतीय इतिहास के बारे में बहुत-सी बातें कही गई हैं. सिन्ध और पंजाब से आर्य लोग उत्तर प्रदेश और बिहार तक पहुंचे. ऐसा लगता है कि वे दो रास्तों से एक साथ भारत में प्रवेश कर रहे थे.
जानी मानी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि की जबरदस्त चर्चा है. रेत समाधि दिग्गज लेखिका गीतांजलि श्री का पांचवां उपन्यास है. पाठकों से लिए पेश है उपन्यास रेत समाधि का पुस्तक अंश.
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 की शॉर्टलिस्ट में गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' का डेजी रॉकवेल द्वारा किया अनुवाद 'Tomb of Sand' भी शामिल है. क्यों न इस उपलब्धि को भारतीय साहित्य के एक बेहतर अवसर के रूप में बदल दिया जाये.
एकाएक दरवाज़े पर दस्तक हुई तो वह सिहर उठी. उसकी आंखों में खौफ़ उभरा. उसने पहले शौहर की बन्द आंखों, फिर उन दस खुली आंखों की तरफ़ देखा जो गुलाबी डोरों के बीच भयभीत हिरनियों की सवालिया नज़रें थीं.
संजीव बख्शी का प्रशासनिक जीवन उनके साहित्यिक जीवन से गुंथा हुआ है. अपने संस्मरणों में वे दोनों को साथ-साथ साधते हैं. 'केशव, कहि न जाइ का कहिये' में भी उन्होंने यही दर्ज किया है.
जाने-माने शायर फ़रहत अहसास के संपादन में एक चयन आया है 'कहने में जो छूट गया' नाम से, जिसमें समकालीन उर्दू शायरी के पांच अहम शायरों मनीष शुक्ल, मदन मोहन दानिश, शारिक कैफ़ी, खुशवीर सिंह 'शाद' व फ़रहत एहसास की ग़ज़लें शामिल हैं.
भारतीय राजनीति को अटल बिहारी वाजपेयी ने लंबे अरसे तक अपनी प्रभावी उपस्थिति से सराबोर रखा. यह यों ही नहीं है कि उनके धुर विरोधी भी उन्हें एक 'बुरी पार्टी में अच्छा आदमी' करार देते थे... शायद इसीलिए जानीमानी पत्रकार, स्तंभकार और लेखक सागरिका घोष ने अंग्रेजी में 'ATAL BIHARI VAJPAYEE' नाम से एक पुस्तक लिखी, जो जगरनॉट से प्रकाशित हुई है.
प्रबोध कुमार मुंशी प्रेमचंद के दौहित्र थे. उनका नाम अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के मानव विज्ञानियों में लिया जाता है. जहां तक साहित्यिक रचनाधर्मिता का प्रश्न है, उनकी अनेक रचनाएं कहानियां, आलोचना, कल्पना, कहानी, कृति और वसुधा आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं.
महाभारत कथा के जिन पात्रों में आज भी लोगों की जिज्ञासा है, घटोत्कच उनमें प्रमुख है. साहित्य आजतक पर पढ़िए एक्शन और एडवेंचर से भरपूर, रेखाचित्रों से सजे नमिता गोखले के पूर्ण मनोरंजक उपन्यास 'घटोत्कच के मायाजाल में' का एक अंशः
नेताजी की 125वीं जयंती पर जानिए कि महात्मा गांधी और नेताजी के आपसी रिश्ते क्या थे, कि वैचारिक पथ अलग होने के बावजूद सुभाष बाबू ने उन्हें राष्ट्रपिता कहा. लेखक राज खन्ना की पुस्तक 'आजादी से पहले, आजादी के बाद' का अंश
इधर कुछ सालों से पाठक कहानी व उपन्यास से कथेतर विधाओें की ओर मुड़े हैं. वे संस्मरणों, आत्मकथाओं व जीवनियों में दिलचस्पी रखते हैं. सेलीब्रिटीज के जीवन में क्या कुछ हो रहा है, यह जानने की जिज्ञासा भला किसे नहीं होती. इसलिए प्रोफाइल लेखन का रास्ता प्रशस्त हुआ है. कथा और कथेतर विधाओं में साल 2021 में क्या कुछ लिखा गया, इसका जायज़ा ले रहे हैं हिंदी के सुधी कवि समालोचक डॉ ओम निश्चल
साहित्य तक की टॉप 10 पुस्तकों की कड़ी में जो काव्य संकलन दर्ज हुए वे हैं...
साल का आखिरी दिन है और बुक कैफे की टॉप 10 पुस्तकों की इस कड़ी में आज लोकप्रिय उपन्यासों की चर्चा हुई है.
गांव की माटी में पनपते सहज संबंध हों या उठऊआ विवाह की कोशिश, प्रवासी धरती का अपराध हो या देवी-देवताओं से भरे किस्से. ये कथा संकलन हैं खास
साहित्य तक पर बुक कैफे की टॉप 10 पुस्तकों की कड़ी में जिन पुस्तकों को जगह मिली
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के तहत पुस्तकों की चर्चा की एक कड़ी इसी साल जनवरी में शुरू हुई थी. अनूदित पुस्तकों की सूची में इन टॉप 10 पुस्तकों ने जगह बनाई.
प्रकाशकों ने कोरोना, जीएसटी और प्रसार संबंधी मुश्किलों और मौजूदा संकट को देखते हुए वही पुस्तकें पुन: छापी हैं जिनकी मांग आज भी है या जिनके पुनर्मुद्रित संस्करण के निकल जाने की आशा है. हिंदी के बाजार पर साहित्य आजतक की एक नजर